हो तिमिर कितना भी गहरा;
हो रोशनी पर लाख पहरा;
सूर्य को उगना पड़ेगा;
फूल को खिलना पड़ेगा।।
हो समय कितना भी भारी;
हमने ना उम्मीद हारी;
दर्द को झुकना पड़ेगा;
रंज को रूकना पड़ेगा।।
सब थके है, सब अकेले;
लेकिन फिर आएंगे मेले;
साथ ही लड़ना पड़ेगा;
साथ ही चलना पड़ेगा।।
~~ रामधारी सिंह 'दिनकर ~~