Thursday, January 22, 2015

दादा का पोते को प्रेम भरा खत



एक दादा अपने अभी-अभी जन्मे पोते को खत लिख रहे हैं. वैसे तो वह खत बहुत बड़ा है, लेकिन मैं यहां उस खत की कुछ खास लाइनें लिख रही हूं. दादा लिखते हैं,

प्यारे मुन्ना
                        इस दुनिया में तुम्हारा स्वागत है. यह बहुत ही सुंदर, अनोखी व प्यारी जगह है और तुम्हें इसे और भी सुंदर और भी प्यारी बनाने के लिए भेजा गया है. भेजा किसने है? यह आज तक कोई नहीं जान पाया. और जान कर कुछ हासिल भी नहीं होगा. इसलिए ऐसे सवालों पर समय बरबाद मत करना. हम सब के पास सीमित समय होता है और जितना भी हो, कम ही होता है.

इस दुनिया में इतना कुछ है देखने को, जानने को, महसूस करने को कि तुम्हारे पास थोड़ा भी समय नहीं है इसे बरबाद करने को. संभावनाएं असीम हैं. तुम कुछ भी बन सकते हो. कुछ भी कर सकते हो. दुनिया बदल सकते हो. हर दिन कुछ नया करना, कुछ नया सीखना और कुछ नया समझना. किसी को लेकर मन में दुविधा हो तो याद रखना. कोई काम न करके पछताने से कहीं बेहतर है, कर के पछताना. क्योंकि वह काम करके कुछ न भी मिला, पर तजुर्बा तो मिलेगा ही.

हर चीज का अनुभव लेना, लेकिन किसी चीज की भी आदत मत डालना. यह तुम्हें सही और गलत में अंतर बतायेगा. गलतियां करने से कभी घबराना मत, क्योंकि गलतियां वही करते हैं, जो कुछ करते हैं. अपनी गलतियों की जिम्मेवारी लेना. उन्हें सुधारना. दूसरों की गलतियों को माफ करना. उन्हें उसे सुधारने का मौका देना. कोई जान बुझ कर गलती नहीं करता. कोई जान बुझ कर बुरा बर्ताव भी नहीं करता. सब को वही मौके देना, जो खुद को दोगे. सब की इज्जत करना, सब पर भरोसा करना और सब से प्यार करना.

इस दुनिया में प्यार की बहुत जरूरत है. तुम्हें भी होगी. इसे मांगने में हिचकिचाना मत. देने में ङिाझकना मत. जी खोल कर नाचना, गला फाड़ कर गाना, खुल के हंसना, मन भर कर खाना और जोर से रोना. बस शरीर से ही बड़े होना, मन से नहीं. याद रखना. तुम्हें इस दुनिया में इसलिए भेजा गया है ताकि तुम इस दुनिया को और भी सुंदर और भी प्यारी जगह बना सको.

जिस दिन हमारे अंदर से बचपना गया, मासूमियत गयी, उस दिन समझो कि जिंदगी गयी. भविष्य के बारे में सोचो, लेकिन उसकी चिंता मत करो.जिंदगी में कुछ अच्छे दिन आयेंगे, कुछ बुरे. अच्छे दिनों में घमंड मत करना और बुरे दिनों में निराश मत होना. सफलता का सारा श्रेय खुद मत लेना.

किताबों की बातें


हाथ में किताब,
बात में किताब,
सोच में किताब
हर समय मौजूद है किताब
कभी हमसे बतियाती है,
कभी हमसे लडती है,
कभी हमसे लडने को कहती है ।
कभी यू हीं चेहरे पर मुस्कान बिखेर देती है।
किताबों में इस दूनिया की हर हकीकत है।
अनदेखे अनजाने सुख अौर दुःख का ब्योरा है।
इतिहस है।
भूगोल है।
ज्ञान है।
विज्ञान है ।
अौर सबसे बढकर हमें बदलने की ताकत है।


 किताबें बिना कुछ बोले, चुपचाप आसपास की जिंदगी से हमारा रिश्ता बदल देती है। किताब पढने के बाद हम वैसे नहीं रहते , जैसा कि किताब पढने से पहले थे। कुछ कहीं न कहीं बदल जाता है। किताबें हमें एक नये तरह का आलोक देती हैं, आनंद देती हैं। किताबों की सबसे बडी ताकत यही है कि यह हमारे सामने दूनिया के हज़ारों रंग लेकर आती हैं। ये हमारी जिंदगी में कई जिंदगी के रंग भरती हैं। हमें जीवन के हर पक्ष से मुखातिब कराती है। किताबों ने हीं हमें इंसान बनाया,परखना सिखाया,दुनिया दिखलायी। किताबों की दूनिया यह एक ऐसी भरी-पूरी दूनिया है, जिसमें दाखिल होकर हम बहुत कुछ सीखते अौर समझते हैं। किताबें हमसे कहती हैं कि मुझसे जो कुछ भी हसिल करना चाहते हो ले लो. मैं तुमसे कुछ नहीं मांगूँगी।