Wednesday, August 7, 2019

एकला चलो रे



यदि तेरी पुकार सुन कोई न आए तब चल अकेला रे 
तब चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला रे।

यदि कोई न करे बातें, ओरे रे ओ अभागे, कोई न करे बातें 
यदि सभी रहे मुँह फेरे सभी करे भय
तब प्राण खोल कर
ओ तू मुँह से अपनी मन की बातें कह अकेला रे।

यदि सभी लौट जाएँ, ओरे रे ओ अभागे, यदि सभी लौट जाएँ
यदि गहन पथ पर चलते वक़्त कोई मुड़ कर न देखे
तब पथ के काँटे से
ओ तू रक्त सने चरण तले अकेला रौंद रे।

यदि रोशनी न दिखाए, ओ रे ओ अभागे,
यदि आँधी-तूफ़ान में अंधकार रात को घर के द्वार करे बंद
तब बिजली की तरह
अपने सीने के पिंजर जलाकर अकेला चल रे।

यदि तेरी पुकार सुन कोई न आए तब चल अकेला रे।


बांग्ला से अनुवाद

- रवींद्रनाथ टैगोर

No comments:

Post a Comment

Note: Only a member of this blog may post a comment.