Wednesday, May 15, 2019

लड़कियों, प्लीज ये पढ़ो. सजग रहो और सुरक्षित रहो



पिछले महीने की बात है. पोलाची केस के बारे में आपने पढ़ा होगा. तमिलनाडु में कोयंबटूर से 45 किलोमीटर दूर पोलाची में एक गैंग सक्रिय था, जो महिलाओं से फेसबुक पर फ्रेंडशिप करता था, उनका भरोसा हासिल करता था, उनसे अंतरंग बातें करता था और फिर उन्हें ब्लैकमेल करता था. उसका शिकार हुए लोगों में जवान लड़कियों से लेकर उम्रदराज औरतें तक शामिल थीं.
11 मार्च को एक वेबसाइट पर एक वीडियो पब्लिश हुआ. ब्लर किए हुए उस वीडियो में एक महिला रोते-चीखते लड़कों से गुजारिश कर रही थी कि मुझे नुकसान मत पहुंचाओ. ये उसी पोलाची गैंग का वीडियो था. ये लोग इस हद तक महिलाओं का भरोसा जीत लेते थे कि वो उनसे निजी तौर पर मिलने को भी तैयार हो जाती थीं, अंतरंगता भी होती, रिश्ते भी बनते. बस वो लड़कियां ये नहीं जानती थीं कि उनका वीडियो बनाया जा रहा है. उनकी निजता, सुरक्षा सब कुछ दांव पर है. जिसे वो दोस्ती, प्यार, कैजुअल सेक्स, जो भी समझ बैठी हैं, वो फरेब की ऐसी खाई है, जिसमें गिरेंगी तो अकेले मरेंगी.
आज एक महीने बाद उस घटना का जिक्र अचानक क्यों मौजूं हो गया? क्योंकि परसों रात मेरे इनबॉक्स में एक मैसेज आया. एक लड़की ने अपनी कहानी सुनाई कि कैसे फेसबुक पर एक लड़के से उसकी दोस्ती हुई. दोस्ती लंबी चैटिंग में और चैटिंग प्यार में बदल गई. अभी तक सब वर्चुअल ही था. लेकिन प्यार था तो संकोच की दीवारें एक-एक कर गिरने लगीं. मोबाइल नंबर शेयर हुए और व्हॉट्सएप पर इंटीमेट बातें हुईं. लड़की ने ठीक-ठीक ये शब्द नहीं कहा, लेकिन बात दरअसल सेक्स चैटिंग की थी. लड़की की निजी फंतासियां, उसके सुख के अरमान, देह की कामनाएं, सब शब्द बनकर वर्चुअल स्पेस में चले गए. दूसरी ओर एक आदमी था, जो सब कुछ जमा कर रहा था, लड़की के सपनों का बहीखाता बना रहा था. जैसे बहुत सी दोस्तियों और मुहब्बत की उम्र बहुत लंबी नहीं होती, इस दोस्ती की भी नहीं रही. लड़का अब किसी और लड़की से ऐसे ही वर्चुअल प्रेम की पींगें बढ़ा रहा था और ये लड़की छटपटा रही थी. जो उसने इस पर रोना-बिफरना चाहा, लड़के को लानतें भेजना तो एक ऐसा विस्फोट हुआ कि प्रेम के दुख की जगह डर ने ले ली. लड़के ने कहा था कि उसकी सारी इंटीमेट चैट और तस्वीरें उसके पास सुरक्षित हैं और कभी भी सार्वजनिक की जा सकती हैं. इसलिए बेहतर होगा कि वो चुपचाप उसकी जिंदगी से चली जाए. लड़की ने दोहरी मार खाई थी. उसका दिल भी टूटा था और भरोसा भी.
पोलाची गैंग के मर्दों ने एक साथ सैकड़ों लड़कियों को निशाना बनाया था. वो अब तक बेधड़क ये करते आ रहे थे. लड़कियां बदनामी के डर से चुप थीं. उनमें से कोई एक साहसी निकली, जिसके परिवार ने भी दोष उसके मत्थे नहीं मढ़ा, उसका साथ दिया तो ये गैंग पकड़ा गया.
लेकिन क्या हम नहीं जानते है कि हमारे आसपास, हमारे घरों, दफ्तरों, बिल्डिंग और कॉलोनी में ऐसे कितने नकाबपोश छिपे हुए हैं? और कितनी ऐसी नासमझ लड़कियां, जो रोज जाने-अनजाने फरेब की खाई में गिर रही हैं.
लड़के भरोसे के लायक क्यों नहीं हैं? उन्हें कैसा होना चाहिए? समाज को कैसा होना चाहिए? फिलहाल ये सब मेरी चिंता का सवाल नहीं.

मेरी चिंता का सवाल हैं वो लड़कियां, जिनके हाथों में इस वक्त डेटा कार्ड वाला स्मार्ट फोन है, दिल में प्यार के सपने हैं, देह में सुख के अरमान और अनुभवों का बक्सा खाली. बात समझने और समझाने वाले परिपक्व दोस्त की जगह खाली. हाथ पकड़ने, राह दिखाने वाले टीचर की जगह खाली. बेटी को भरोसा देने और उस पर भरोसा करने वाले परिवार की जगह खाली.
ऐसे में क्या करेंगी ये लड़कियां? कोई मिलेगा फेसबुक पर, मीठी-मीठी बातें करेगा, वो उसे दोस्त समझ लेंगी? उस पर भरोसा कर लेंगी? आखिर दिल्ली की उस पत्रकार महिला ने भी तो उस मर्द साथी पर भरोसा ही किया था, जिसने उसका सेक्‍स वीडियो बनाकर सारे ऑफिस के लोगों को भेज दिया था. इस शहर दिल्ली में ऐसा कोई पत्रकार नहीं, जिसने वो वीडियो न देखा हो. जस्सी फेम मोना सिंह ने भी तो अपने ब्वॉयफ्रेंड पर भरोसा ही किया था, जिसने उसका न्यूड वीडियो पब्लिक कर दिया था. और डीपीएस की वो लड़की, जो देश भर के पत्रकारों के लिए देश के पहले एमएमएस स्कैंडल की स्टोरी बन गई थी. और छोटे शहरों-कस्‍बों की वो सैकड़ों लड़कियां, जिनके बारे में रोज ऐसी खबरें छपती हैं कि “अश्‍लील वीडियो वायरल होने पर लड़की ने की आत्‍महत्‍या.”
जब मैं कॉलेज में थी तो इलाहाबाद में हमारे मुहल्ले की एक लड़की की उसके ब्वॉयफ्रेंड ने ब्लू फिल्म बनाकर इंटरनेट पर डाल दी थी. उनका परिवार रातोंरात वो मुहल्ला और शहर छोड़कर चला गया. आज भी कई बार मुझे उसका खयाल आता है. वो कहां होगी? और आज भी वो लड़का उसी मुहल्ले में छाती चौड़ी कर घूमता है और सड़क पर खड़े होकर पेशाब करता है. लड़की को फिर किसी ने कभी नहीं देखा.
और जरूरी नहीं कि तुम्हारी अंतरंग चीजें हर लड़का इंटरनेट पर ही डालता फिरे. कई बार वो ये सब सिर्फ अपने दोस्तों और सहकर्मियों को भी दिखा रहा होता है, अपनी उपलब्धि की तरह.
इसलिए मेरी चिंता ये नहीं कि लड़कों का क्या? मेरी चिंता है कि लड़कियों का क्या? कुछ बातें हैं, जो कम उम्र की नौजवान लड़कियों से कहना चाहती हूं. शायद तुम इन बातों पर गौर करना चाहो -:
1. अजनबियों से बात करने में कोई बुराई नहीं है. आज जो तुम्हारा अच्छा दोस्त है, वो भी कभी अजनबी रहा होगा. ऐसे ही मिलते हैं अजनबी जिंदगी में और फिर अपने हो जाते हैं. लेकिन वर्चुअल स्पेस के अजनबियों से थोड़ा सावधान. जो सीधे इनबॉक्स में फ्रेंडशिप वाला गुलाब भेज दे, सीधे नंबर मांग ले या बात की शुरुआत ही यूं करे कि “आपकी आंखें बड़ी खूबसूरत हैं” तो यकीन मानो या तो वो महाजाहिल है या महामक्कार. और दोनों ही किस्म के लोग दोस्ती के लायक नहीं.
2. कुछ ऐसे भी होते हैं, जो गरिमा से बात करते हैं, आदर से पेश आते हैं. जो अच्छे भी लग सकते हैं और जिनसे प्यार भी हो सकता है. और जब कोई अच्छा लगने लगे तो उसकी हर बेजा मांग के सामने भी लड़कियां सिर झुका देती हैं. लेकिन याद रखो, जिसने किसी भी किस्म की गलत मांग की, वो इंसान भरोसे के लायक नहीं. सेक्स चैट की या न्यूड फोटो मांगी, उस पर भरोसा मत करना.
3. कुछ चीजें ऐसी हैं, जो कभी भी, किसी के भी साथ, किसी भी हाल में नहीं करनी चाहिए. जैसे अपनी न्यूड तस्वीरें भेजना या सेक्स चैट करना. अगर वो लड़का इतना करीबी है कि पूरा परिवार भी उसे जानता है, तुम्हें लगता है कि उससे कभी कोई खतरा नहीं हो सकता, तो भी नहीं. किसी से भी नहीं. उससे भी नहीं, जिससे शादी तय हुई हो या शादी हो चुकी हो. किसी से, किसी हाल में नहीं.
4. इंसान अगर भरोसे वाला हो तो भी वर्चुअल स्पेस भरोसे वाला नहीं है. यहां कोई चीज डिलिट नहीं होती और न कुछ भी पर्सनल होता है. तुम्हारी पर्सनल मेल से लेकर व्हॉट्सएप तक सब कुछ एक्सेस किया जा सकता है. फर्ज करो, तुम्हारा फोन या लैपटॉप खराब ही हो जाए. तो उसे ठीक करने वाले के हाथ वो सारी निजी चीजें लग सकती हैं. इंटरनेट की अंधेरी दुनिया में कौन, कहां, कब, क्या डाल दे, कर दे, कोई भरोसा नहीं. इसलिए ऐसी कोई वलनरेबल चीज न फोन पर रखनी चाहिए और न ही कभी किसी को भेजनी चाहिए.
5. स्काइप, फेसटाइम, व्हॉट्सएप या किसी भी तरह के वीडियो चैट पर कोई न्यूडिटी नहीं. लाख डिमांड पर भी नहीं. वो स्पेस भी उतना ही खतरनाक है.
6. याद रखो, ये जितनी भी बातें हैं, जो तुमसे सचमुच प्यार करता है, जो सचमुच तुम्हारा दोस्त है, वो इन सावधानियों के प्रति पहले से हजार गुना सावधान होगा. जो प्यार करेगा, वो कभी नहीं करेगा ऐसी कोई बेजा मांग.
7. और सबसे आखिर में सबसे जरूरी बात. आखिर हम फिसलते ही क्यों हैं? हम क्यों फंसते हैं इस जाल में? बात सिर्फ इतनी नहीं है कि अनुभव कम है, भरोसा कर बैठे. उस उम्र में हम भरोसा इस कदर करते हैं और ऐसे कि मानो भरोसा करने के लिए ही बैठे थे. इसमें गलती नहीं है तुम्हारी. उस उम्र का, उस इच्छा का आवेग ही कुछ ऐसा होता है. जितने बल से मां की देह चीरकर बच्चा आता है संसार में, वैसे ही बल से आती हैं देह की कामनाएं, जब उम्र आती है. ये दुर्घटनाएं बार-बार इतने रूपों में, इतने बड़े पैमाने पर और इतनी सारी लड़कियों के साथ इसीलिए होती हैं कि कामना के उस बल के आगे, देह और मन की उस बेचैनी के आगे बुद्धि, विवेक, दुनियादारी का डर सब हथियार डाल देते हैं.
इसलिए अगर हम देह और मन की उस बेचैनी को उससे थोड़ा परे हटकर देख पाएं, समझ पाएं, किसी से बात कर पाएं तो सुख के साथ सुख के खतरे को भी समझेंगे, सुख की जिम्मेदारी को भी समझेंगे, सुख की गरिमा को भी समझेंगे.
हम सही चुनेंगे, हम ईमानदार चुनेंगे.


मनीषा पाण्डेय

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